Republic day Poem




शहीदों से सिंची ये मिट्टी,
ना जाने कितनो ने बलिदान दिया,
आज़ाद होते होते देश,
ना जाने हमने क्या क्या खो दिया,
कहां शांति मिली हमे फिर भी,
हमेशा लाचार सा दिखता रहा राष्ट्र हमारा,
वक्त ढूंढ रहा है मलहम अपना,
हमने हमेशा उसे झूठा पैगाम दिया,
चलो कुछ कर के दिखाओ,
अब यही मांगती भारत माता,
नए अंदाज़ नई उम्मीद,
बीखेरो इस गणतंत्र पे,
हो जाओ तैयार अब,
फूक दो बिगुल दुनिया फतह की,
गणतंत्र सिखाता हमे राष्ट्र के प्रति समर्पण करना,
स्वतंत्रता सीखाता सच्चे रूप से आगे बढ़ना,
मिले जो भी अवसर हमे,
कूद पढ़ो मैदान में,
फेहरा दो तिरंगा अपना,
दुनिया के खलिहान में,
हो जाए जोश खत्म तुम्हारा,
तो याद करो स्वतंत्रता सेनानियों को,
बांध लो कफन सीने में,
जिस तरह बांधते सैनिक,
युद्ध के मैदानो में,
हमने छीन्नी है आजादी अपनी,
अब उसपे मुहर लगाओ,
तब जाके बनेगा भारत अपना,
यही सबको पैगाम बताओ।


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